गुनाह उसका ये कि वो माँगता है भीख सड़क पर। यहाँ हम दिन-रात मांगते हैं भीख फिर भी गुनहगार नहीं।। ययाति पंड्या Gunaah Uska Yeh Ki Woh Mangta Hai Bheekh Sadak Par Yahan Hum Din-Raat Mangte Hain Bheekh Phir Bhi Gunahgaar Nahin Yayaatti Pandya
पड़ाव रुका हूं इस पड़ाव पर के दम ज़रा सा भर तो लूं जो रह गए कहीं - कहीं राह उनकी देख लूं न कह सके कोई के कल मेरे लिए रुका नहीं हूं कुछ समय यहां तो आज कुछ ज़रा सा सोच लूं लक्ष्य जो भी है मेरा उसी को फिर से देख लूं रियाज़ इंतज़ार का अभी तलक बहुत किया अब राग जोश का यूं गा उमंग को जगा - जगा फिर से चल पड़ा हूं मैं सफ़र पे था रुका हुआ नया पड़ाव फिर कोई मिलेगा राह में मुझे कुछ घड़ी का भर के दम चला चलूंगा राह पर जब तलक लक्ष्य पर पहुंच नहीं जाता हूं मैं बस कदम बढ़ा - बढ़ा राह पर चलूंगा मैं। ययाति पंड्या
इंतज़ार "इंतज़ार करता हूँ दिन भर कि रात हो जाए । फिर तेरी याद में हम गुम हो जाऐं " । । ययाति पंड्या Intazaar "Intazaar Karta Hoon Din Bhar Ki Raat Ho Jaie, Phir Teri Yaad Mein Hum Gum Ho Jaien." Yayaatti Pandya
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